Madhu varma

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लेखनी कहानी - महाभारत और रामायण की कुछ लघु कथाएँ

कर्ण और कृष्ण



कर्म के संयम का एक और उदाहरण जब अर्जुन और कर्ण का युद्ध क्षेत्र में सामना हुआ कृष्ण ने धरती माँ को आदेश दिया की वह कर्ण के रथ के पहिये को जकड लें | कर्ण पहिये को आजाद करने के लिए जादुई मन्त्र का इस्तेमाल करते हैं लेकिन परशुराम के श्राप से वह अपनी सीखों को भूल जाते हैं | 

परेशान हो वह धनुष को नीचे फेंक रथ से नीचे उतर पहिये को छुड़ाने लगते हैं जिस पर कृष्ण अर्जुन से उन्हें मारने को कहते हैं | अर्जुन कहते हैं की निहत्थे पर कैसे वार करूं | तब कृष्ण उन्हें याद दिलाते है की द्रौपदी भी बेबस थीं जब कौरवों ने उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश की थी | कृष्ण के ऐसा कहने पर रहम न दिखाते हुए अर्जुन कर्ण को मार देते हैं , उनकी बेबसी के समय में | 

लेकिन ऐसा क्यूँ हुआ | पिछले जन्म में कृष्ण राम  थे | उन्होनें सूर्य पुत्र सुग्रीव का साथी बन इंद्र के पुत्र बलि का पीठ पर वार कर वध किया था | अब मौका पलटने का समय था | इस बार कृष्ण ने इंद्र पुत्र अर्जुन का साथ दिया और सूर्य पुत्र कर्ण को पीठ पर वार करवा मरवा दिया |

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